Thursday, August 29, 2019

ज़िन्दगी क्या है?

ज़िन्दगी क्या है?
समय के पन्नों पर लिखी हुई कहानी।
समय क्या है?
एक एक पल की ख़ुशी, ग़म ,हार, जीत,मिलना, बिछुड़ना ,पाना, खोना, जीने,मरने  का हिसाब।
पल क्या है?
वही जिन्हें  जाग कर जोड़ा  जाए तो ज़िंदगी,
सोकर गँवा दिया जाये  तो एक सपना।

सलाह

प्यार है तो जताया भी करो 

दर्द है तो बताया भी करो 

रूठे हुओं को मनाया भी करो 

जज़्बात छिपाये तो 

टीस उठेगी 

छिपाने की जगह दिखाया भी करो 

ज्यादा दिन दूर रहने से 

दूरियां बढ़ जाती हैं 

कभी कभी दोस्तों से मिल आया भी करो 

बिन मांगी सलाह बहुत देते हो मेरी जान
कभी अपनी सलाह पर भी अमल कर आया करो
Somkritya's Artwork

Friday, May 11, 2018

मलाल

बींधा
तीखी बातों से  
 एक दूजे को 
हरदम 
अब देखो वो जख्म 
भीतर कैसे पलता है 
लाख बिसारना चाहो 
कांटे सा कसकता है 
टीस उठे  हर  वक़्त
मरहम काम  ना करता है 
नासूर बन न  जाये कहीं 
हरदम  खून सा रिसता  है
वक़्त पर माफ़ी  
मांग ली होती, 
रहता नहीं मलाल 
तुम भी चुप बैठे रहे 
जैसे फर्क क्या पड़ता है 
अहम् हमारा टकराये 
मन कांच दरकता है 
मन आहत पर 
चेहरा बुजदिल 
मुस्कानों को ढोता 
हर रिश्ते का 
एक मुखौटा 
चिपका लेता है 
दुनिया जलती 
हरदम कैसे 
बिंदास ये 
दिखता है 

~ इंदिरा 

Thursday, August 13, 2015

पिंजरे का पंछी

लाकर मुझको तूने था एक पिंजरे में डाला
सोने के नुपुर दिए पिंजरा  भी सोने वाला
मरना था आसान नहीं पिंजरे को ही अपनाया
तेरे  दाना पानी को ही अपना मैंने जाना
मुक्त गगन के पंछी मुझपे हँसा करते थे
पर तेरे प्यार के आगे सीखा शीश झुकाना
तेरी चाहत खत्म हुई  मन तेरा भरपाया
अब पिंजरे खोलके तू कहता है अब उड़ जाना
उड़जा जहाँ भी जी चाहे वापस मत तू आना
आदत हो गयी पिंजरे की अब कैसी आज़ादी
मैंने कब सीखा है अपने पंखों को फैलाना
~इंदिरा 

फलसफा

देखिये तो लोग
यहाँ कितने मूढ़ हैं
काटे  उसी डाल  को
जिसपर आरूढ़ हैं
जो भी बोया काटे वही
जो भी दिया पाये वही
जीवन का फलसफा
इतना भी  नहीं गूढ़ हैं
- Indira