एक समय की बात है
श्रीगणेश भोग लगाते थे
और चूहे प्रसाद से तृप्त हो जाते थे
अब चूहे भोग लगाते हैं
और प्रसाद भी हड़प जाते हैं
भगवान् सिर्फ मूर्ती बने देखते ही रह जाते हैं
ठीक उसी तरह जैसे जनता की भलाई में लगाया जाने वाला धन
चूहे रुपी भृष्ट लोग हड़प जाते हैं
देश एक जहाज है
कहते हैं ,
जब जहाज डूबने लगता है तो सबसे पाहिले
चूहे भाग जाते हैं
पर उस जहाज का क्या
जिसे चूहे ही चलाते हैं |
~इंदिरा
श्रीगणेश भोग लगाते थे
और चूहे प्रसाद से तृप्त हो जाते थे
अब चूहे भोग लगाते हैं
और प्रसाद भी हड़प जाते हैं
भगवान् सिर्फ मूर्ती बने देखते ही रह जाते हैं
ठीक उसी तरह जैसे जनता की भलाई में लगाया जाने वाला धन
चूहे रुपी भृष्ट लोग हड़प जाते हैं
देश एक जहाज है
कहते हैं ,
जब जहाज डूबने लगता है तो सबसे पाहिले
चूहे भाग जाते हैं
पर उस जहाज का क्या
जिसे चूहे ही चलाते हैं |
~इंदिरा
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