हीरा चढ़ता मत्थे पे, पत्थर ठोकर खाए
,
ईश्वर मूरत में ढले, पत्थर भी उबरे जाए |
दिन भर खट कर भी कोई, भूखे पेट सो जाए ,
बिन मेहनत की पुरोहिती, पेट भरे जस पाए |
औरत मेहनत कर मरे , फिर भी पीटी जाए,
पैसा शक्ति लाये तभी , मंदिर में पूजी जाए |
जब तक मतलब साथ थे, पूछ पूछ के अघाये,
पंख ने जिस दिन भरी उड़ान सब को दिया भुलाए |
छाप अंगूठा रोये क्यों, राजनीति घुस जाए,
पैसा पॉवर मिले तो, सर्वगुन्न कहलाये |
सब कुछ पाया प्रेम न पाया, जिया काहे अकुलाये,
माया, काया के चक्कर, जब जीवन दिया गवाए |
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