Tuesday, April 29, 2014

अजीब मगर सच्ची


हीरा चढ़ता मत्थे पे, पत्थर ठोकर खाए
 ,
ईश्वर  मूरत में ढले, पत्थर भी उबरे जाए |

 दिन भर खट  कर  भी कोई, भूखे  पेट सो जाए ,

बिन मेहनत की  पुरोहिती, पेट भरे जस पाए |

औरत मेहनत कर मरे , फिर भी पीटी  जाए,

पैसा शक्ति लाये तभी , मंदिर में पूजी जाए |

जब तक मतलब साथ थे, पूछ पूछ के अघाये,

पंख ने जिस दिन भरी उड़ान सब को दिया भुलाए |

छाप अंगूठा रोये क्यों,  राजनीति  घुस जाए,

पैसा पॉवर मिले तो, सर्वगुन्न  कहलाये |

सब कुछ पाया प्रेम न पाया, जिया काहे  अकुलाये,

माया, काया  के चक्कर,  जब जीवन दिया गवाए |

~Indira 

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